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ढाँचे का निर्माण करें… और मन की शांति पायें (Create a Structure… and Have Peace of Mind)

  • 13 Jul 2018
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जीवन में ढाँचे और व्यवस्था का निर्माण करना बहुत आवश्यक है । अगर अव्यवस्था, हंगामा और व्याकुलता है तो हम अपना बहुत समय बर्बाद कर देंगे, हमेशा थका हुआ महसूस करेंगे और कुंठित हो जाऐंगे । यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि व्यवस्थित मन व्यवस्थित जीवन का निर्माण करता है ।
किसी भी प्रकार की व्यवस्था का निर्माण बातों को सुगम बनाने के लिए और/या व्यर्थ को घटाने के लिए किया जाता है । लोगों के जीवन को सुचारू और सहज बनाने के लिए भी ये मददगार है । अगर सभी को व्यवस्था का बोध है तो किसी को इस बारे में सोचने की आवश्यकता नहीं है, वे बस काम पे लग जाते हैं । इससे समय, मेहनत और विचारों की बचत होती है ।
हरेक को व्यवस्था या नियम और विनियम पसंद नहीं आते । एक दिन हम ए‍क सुंदर नये उद्यान में गऐ तो वे हमें वहाँ कुछ भी खाने या पीने नहीं दे रहे थे । हमें सिर्फ पगडंडी पर ही चलना था घास पर नहीं । मुझे बता देना चाहिऐ कि इतने नियम सुनने के बाद हमारा दिल वहाँ से चले जाने को हुआ…लेकिन दूरंदेश से हम देख सकते थे कि इतना सुंदर उद्यान बनाने में बहु मेहनत लगी हुई है और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए प्राधिकारीयों का इतने नियम बनाना सही है । तो उनका उद्देश्य अच्छा था । अगर आप किसी व्यवस्था से असहमत हैं तो सोचें कि बहुत सोच-विचार के बाद ही इसे लागू किया गया है, तो इसलिये च प्रक्रिया पर विश्वास रखें । ढाँचा और व्यवस्था बनाने से हमारा ही फायदा होता है । हमारे जीवन में बिना अनुशासन और व्यवस्था के हम रास्ता भटक सकते हैं, उद्देश्य खो सकते हैं और समय भी बर्बाद कर सकते हैं । उदाहरण के लिए अगर हम जानते हैं कि हमें किसी व्यायाम, मेडिटेशन, व्यंजन बनाने और किसी उद्देश्य में शामिल होना है तो हम उसी प्रकार से योजना बना सकते हैं, एकाग्र रह सकते हैं और भली प्रकार से संभाल सकते हैं । हम अधिक कार्यकुशल बन जाते हैं । जीवन अच्छा लगता है ।


कुछ व्यवस्थाऐं जो मुझे फायदेमंद लगती हैं:
* यह मालूम करना कि किस उद्देश्य के लिए मेरी ऊर्जा सबसे बेहतर है । हम में से कुछ सुबह के समय अधिक क्रियाशील होते हैं और कुछ शाम के समय तो आप इस बात का ध्यान रखते हुऐ अपने कार्य की व्यवस्था बना सकते हैं ।
* हम कार्यों को प्राथमिकता दें और आँकें कि कितनी देर में कौन सा कार्य होगा और उस में लग जाऐं!
* चाहे कोई किसी विशेष कार्य करने के प्रति रूची दिखाये या नहीं, यह सम्भव है कि हम स्वयं से बातें करके यह विश्वास बना सकते हैं कि सब ठी‍क है और इस बात पर ध्यान एकाग्र करें कि वह कार्य पूरा होने पर कितना अच्छा लगेगा!


हम में से अधिकतर लोग काम पर पैसा कमाने के लिए जाते हैं, जो हमें थोपी हुई व्यवस्था देता है, चाहे हम उसे पसंद करें या नहीं… फिर भी हम अपने दूसरे क्रियाकलापों को व्यवस्थित कर सकते हैं । जब हम किसी महत्वपूर्ण कार्य को गतिमान कर देते हैं तो हमें जीवन में एक संतुलन का आभास होता है । ऐसा लगता है कि काम हो रहा है और जीवन पर हमारा नियंत्रण है ।
एक राजयोगी का जीवन व्यवस्था का जीवन है । जब बुनियादी बातें सही हो रही हैं (सुबह का ध्यान, आध्यात्मिक अध्ययन, दूसरों को देने के लिए समय आदि ।) तो वास्तव में इससे हमें स्वतंत्रता का आभास होता है । यह व्यर्थ विचारों को घटा देता है जैसे; “मैं यह करूँ या ना करूँ?” यह टाल-मटोल करने का मौका भी कम कर देता है और इससे मन को शंति मिलती है । अगर हम व्यवस्था का अनुसरण नहीं करते तो आंतरिेक संघर्ष हो सकता है – मन को शांति नहीं मिलेगी ।
मैंने नियमों और व्यवस्थाओं को अपने जीवन में आर्शीवाद की तरह स्वीकारना सीख लिया है एक बंधन की तरह नहीं । कार की सीट बेल्ट का उदाहरण ले लीजिऐ, जब हम पहली बार लगाते हैं तो थोड़ा तंग और प्रतिबंधात्मक लगता है लेकिन जल्दी ही हम उसका होना भी भूल जाते हैं । और जब हम उसे प्रयोग कर रहे हैं तो हम जानते हैं कि हम सकुशल और सुरक्षित हैं!
अब समय है… और अधिक मन की शांति और कार्यक्षमता के लिए जीवन में व्यवस्था और ढाँचे का निर्माण करने का।


© ‘It’s Time…’ by Aruna Ladva, BK Publications London, UK


 

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